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फ़ौजी का वादा

पाया था जब मैंने एक फौजी हमसफ़र
प्रफुल्लित था मेरा अंतर्मन अत्यंत मगर
डर था कि भारत माँ ने याद किया गर
छोड़ जाएगा मुझे मोह बंधन तोड़ कर।

भारतमाता ही थीं उसका पहला प्यार
जिस पर सकता था वह सब कुछ वार
देशभक्ति ही था उसके जीवन का सार
मातृ सेवा हेतु लेना था जन्म बारंबार।

जब मैंने किया अपने प्यार का तगादा
वह बोला धरती माता से किया है वादा
करूँगा ना प्यार किसी से उनसे ज़्यादा
विचलित ना होऊँगा दृढ़ है मेरा इरादा।

बोला जिस माटी ने है हमें जन्म दिया
बदले में हमसे कभी कुछ भी ना लिया
धरती की सुरक्षा का बीड़ा हमने लिया
अब पूरा करूँगा वादा यह ठान लिया।

बोला तुम तो हो मेरी प्यारी अर्धांगिनी
मेरे सुख-दुख में मेरी जीवन संगिनी
मौत चाहें बनकर आ जाए पिशाचिनी
तिरंगे में लिपट तेरे पास आऊँगा भगिनी।

सुन फौजी का वादा जाग उठा अभिमान
दिल किया मैं भी देश हित होऊँ कुर्बान
 पाकर वीर सिपाही बढ़ गया था मान
न्योछावर कर दूँ पिया पर अपनी जान।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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8 Comments

Punam verma

13-Feb-2022 08:38 AM

Very nice

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Swati chourasia

12-Feb-2022 07:13 AM

Bohot hi khubsurat rachna 👌👌

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Dr. Arpita Agrawal

12-Feb-2022 08:04 AM

धन्यवाद स्वाति जी

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Zakirhusain Abbas Chougule

12-Feb-2022 01:40 AM

Wah bahut khoob

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Dr. Arpita Agrawal

12-Feb-2022 08:04 AM

शुक्रिया आदरणीय

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